UPSC एक प्रतिष्ठित परीक्षा है जिसमें हर साल लाखों विद्यार्थी भाग लेते हैं। हर वर्ष लाखों छात्र आईएएस ,आईपीएस और आईएफएस जैसी सेवाओं में चयनित होने का सपना इसी परीक्षा को पास करके पूरा करते हैं ।पूरे देश में हर साल कई हजार बच्चे. इस परीक्षा में भाग लेते हैं और उत्तीर्ण होते हैं पर पिछले कुछ वर्षों में हिंदी माध्यम के बच्चों की संख्या बहुत ही काम होती जा रही है। हिंदी माध्यम के बच्चों की संख्या कम होने के पीछे कई सारे कारण हैं जिनमें से एक यह है की इनके पास शिक्षा के लिए सही संसाधन उपलब्ध नहीं है , जिसके कारण बच्चों को सबसे भारत की सबसे कठिन और चुनौती पूर्ण परीक्षा को निकालने में पिछे रह जाते हैं।
इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको UPSC में हिंदी माध्यम के छात्रों की सफलता दर से जुड़ी वास्तविक स्थिति से परिचित कराएंगे। हिंदी माध्यम के छात्रों को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, वे इस परीक्षा में पिछड़ क्यों जाते हैं, और इस राह को पार करने के क्या उपाय हैं – हम इन सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यदि आप भी हिंदी माध्यम से UPSC की तैयारी कर रहे हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
UPSC में हिंदी माध्यम की वर्तमान स्थिति
अगर हम 2025 के यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के टॉपर्स की बात करें तो शक्ति दुबे जिन्होंने की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, उन्होंने भी यह परीक्षा हिंदी माध्यम से ही पास किया है। दूसरे हैं रविराज ,रविराज ने भी हिंदी माध्यम से परीक्षा दी थी और उनका ऑल इंडिया रैंक 182 है ।लेकिन अगर हम पिछले आंकड़ों की बात करें तो हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या कम होती जा रही है उदाहरण के लिए 2019 में “यूपीएससी साक्षात्कार” जिससे कि हम “पर्सनैलिटी टेस्ट” के नाम से जानते हैं उसमें कुल 1993 उम्मीदवारों में से केवल 250 में ही हिंदी माध्यम चुना, जबकि 1774 बच्चों ने अंग्रेजी माध्यम का चयन किया। 2025 में 1016 चयनित उम्मीदवारों में से 42 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में हिंदी माध्यम से सफलता प्राप्त की है, और इनमें से 29 उम्मीदवारों ने साहित्य हिंदी को विषय के रूप में चुना था। 42 उम्मीदवारों में से सिर्फ एक ने अंग्रेजी को वैकल्पिक विषय में चुना था जो इस बार का संकेत देती है कि हिंदी माध्यम के छात्र हिंदी साहित्य और हिंदी से जुड़े ही विषय को ही वैकल्पिक विषय के रूप में चुनने में रूचि ले रहे हैं।
हिंदी माध्यम के छात्रों को आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ
अध्ययन सामग्री की कमी
आजकल के माता-पिता अंग्रेजी माध्यम पर ज्यादा जोर दे रहे हैं , जिसके कारण भारत में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षक बहुत ही आसानी से मिल जाते हैं और हिंदी माध्यम के शिक्षक कम होते जा रहे हैं। इसके पीछे का कारण एक यह भी है कि लोग भाषा को नजरअंदाज कर रहे हैं वह हिंदी को अंग्रेजी से कमतर मान कर बैठे है। अगर हम सोशल मीडिया और ऑनलाइन संसाधन जैसे कि युटुब की बात करें तो वहां पर भी अधिकतर शिक्षक अंग्रेजी माध्यम में ही पढ़ा रहे होते हैं और दुख की बात तो यह है कि हिंदी माध्यम के बच्चों को इनके अनुवाद भी नहीं मिलते जिसके कारण अंग्रेजी माध्यम के बच्चे जिस तरीके से तैयारी कर रहे हैं और जितने संसाधन उनके पास उपलब्ध है वो संसाधन हिंदी माध्यम वाले बच्चों तक नहीं पहुंच पाते तथापि वह इस परीक्षा में पिछे रह जाते हैं अनुत्तीर्ण हो जाते हैं।
अनुवाद की समस्या (Quality content translation issue)
हालांकि हिंदी भारत की मातृभाषा है फिर भी अभी भी यहां ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं बनाई गई है जो की अंग्रेजी से सही-सही हिंदी में टाइप कर सके जिसके कारण सी सेट जो की यूपीएससी में क्वालीफाइंग पेपर होता है उसमें कई सारी गलतियां होती हैं , जिसके कारण बच्चे गलत उत्तर चयन करके आ जाते हैं , निर्देश के अनुसार यह दिया होता है कि अंग्रेजी माध्यम के सवाल के अनुसार ही अंक प्रदान किए जाएंगे । इस पर कई बार आंदोलन भी हुआ है लेकिन फिर भी त्रुटि रह ही जाती है। उदाहरण के तौर पर, ‘सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट’ का अनुवाद “असहयोग आंदोलन” किया गया था ‘इंप्लीकेशन’ का अनुवाद “उलझन” तथा ‘लैंड रिफॉर्म’ का अनुवाद “आर्थिक सुधार” किया गया था । इन गलतियों के कारण हिंदी माध्यम के बच्चों को प्रश्न समझने में दिक्कत होती है और वह कहीं ना कहीं पीछे रह जाते हैं, साथ ही साथ उन्हें सीसैट में अंग्रेजी में भी उत्तीर्ण करना होता है जो कि उनके लिए एक कठिन पड़ाव बन जाता है।
उत्तर लेखन में कमजोरी
हिंदी माध्यम के बच्चों को जब विश्लेषणात्मक और तार्किक उत्तर देने होते हैं तो उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि आजकल हमारे आसपास ज्यादा से ज्यादा जानकारी अंग्रेजी के शब्दों को ही हिंदी में प्रयोग कर लेते हैं। यही कारण है कि जब उत्तर लेखन की बारी आती है तो बच्चों को उनके दिमाग में हिंदी शब्द की जगह अंग्रेजी शब्द रहते हैं और इसी कारण उनका उत्तर लेखन में समय बढ़ जाता है , तथा उत्तर को आकर्षक बनाने के लिए उनको कई सारे ऐसे शब्द हैं जो बार-बार प्रयोग करते करना पड़ता है जिसे सिर्फ एक सही शिक्षक के मार्गदर्शन में रहकर के ही पाया जा सकता है। हिंदी माध्यम के बच्चों को एक और कठिनाई का जो सामना करना पड़ता है वह है स्पीड की कमी जहां अंग्रेजी माध्यम के बच्चे 1 घंटे में 16 पन्ने लिख पाते हैं वहीं हिंदी माध्यम के बच्चे एक घंटे में 10 पन्ने लिख पाते हैं।
कोचिंग संस्थानों की गुणवत्ता में अंतर
आप अगर देखे तो हिंदी और अंग्रेजी माध्यम के कोचिंग संस्थानों के गुणवत्ता में भी काफी अंतर होता है, अधिकांश प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान अंग्रेजी माध्यम में ही शिक्षा प्रदान करते हैं जबकि हिंदी माध्यम के लिए समर्पित उच्च गुणवत्ता वाले कोचिंग संस्थानों की संख्या कम है ।साथ ही साथ इसके पीछे का कारण यह भी है की कोचिंग संस्थान आजकल कोचिंग क्लासेस उसी भाषा में देते हैं जिसमें बच्चे ज्यादा पढ़ते हैं, जिसके कारण हिंदी माध्यम वाले बच्चे पीछे रह जाते हैं।
प्रतियोगिता का स्तर
अंग्रेजी माध्यम के छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण तथा अंग्रेजी माध्यम के छात्रों के पास ज्यादा संसाधन होने के कारण प्रतियोगिता का स्तर भी ऊंचा हो गया है। जिसके कारण हिंदी माध्यम के बच्चों को उनके बराबर आने तथा उनसे ऊपर उठने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ,क्योंकि उन्हें न केवल मेहनत करके यूपीएससी जैसे कठिन परीक्षा को पास करना होता है बल्कि उन्हें भाषा में भी पारंगत हासिल करना पड़ता है तथा कम समय और कम संसाधन के साथ अंग्रेजी माध्यम वाले बच्चों को पीछे करना होता है।
इन समस्याओं के पीछे के कारण
हिंदी माध्यम के छात्रों के पीछे रहने की समस्या के पीछे कई कारण है ,जैसे कि संसाधनों की असमानता ,जिसमें अंग्रेजी माध्यम के छात्रों के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध हैं। जैसे कि ,अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट और मेंटरशिप प्रोग्राम। वहीं हिंदी माध्यम के छात्रों को इन सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है ,साथ ही साथ मॉक टेस्ट और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों की उपलब्धता में भी कमी है जिसे छात्रों को अभ्यास करने में कठिनाई होती है ।हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए अनुभवी मेंटर्स और गाइडेंस की उपलब्धता कम है जिसके कारण उन्हें सही दिशा और मार्गदर्शन नहीं मिल पाता । कुछ छात्रों का मानना है की मुख्य परीक्षा के उत्तरों के मूल्यांकन में हिंदी माध्यम के छात्रों के साथ पक्षपात होता है क्योंकि अंग्रेजी माध्यम के में उत्तर देने वाले बच्चों को हमेशा ऊपर समझा जाता है, और उन्हें ज्यादा महत्व दिया जाता है जबकि हिंदी माध्यम में उत्तर देने वाले बच्चों को कम समझ जाता है और उन्हें कम अंक भी किए जाते हैं । साथ ही साथ अंग्रेजी में गलतियों को पकड़ना थोड़ा मुश्किल होता है जबकि हिंदी में गलतियां आसानी से सामने आ जाते हैं और बच्चों के अंक कट जाते हैं, वहीं अंग्रेजी माध्यम वाले बच्चे बच के निकल जाते हैं।
समाधान और सुझाव
अच्छी हिंदी माध्यम की कोचिंग चुनना
हिंदी माध्यम के छात्रों को ऐसे कोचिंग संस्थान का चयन करना चाहिए जो हिंदी माध्यम के लिए पाठ्यक्रम और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, तथा ऐसे कोचिंग संस्थान हिंदी माध्यम के बच्चों की तैयारी और उनकी सफलता के लिए समर्पित रहते हैं । ऐसे कोचिंग संस्थान हमेशा सही मार्गदर्शन और संसाधन उपलब्ध कराते हैं। जैसे: DIA – Deoghar IAS Academy जो कि हिंदी माध्यम के बच्चों की भरपूर सहायता करते हैं और उनके सफल होने में उनकी मदद करते हैं।
उत्तर लेखन अभ्यास हिंदी में करना
हिंदी में उत्तर लेखन काफी मुश्किल हो जाता है ,इसलिए जरूरी है कि उत्तर लेखन में दक्षता और स्पीड प्राप्त करने के लिए नियमित अभ्यास करें ,ताकि उत्तर की गुणवत्ता को बढ़ा सके और अधिक अंतर अंक प्राप्त कर सके ।छात्रों को पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों का भी अभ्यास करना चाहिए और अपने मैनटर तथा शिक्षकों से फीडबैक लेकर उनमें सुधार करना चाहिए । वह अपने कोचिंग संस्थान के शिक्षक या किसी एक्सपीरियंस्ड इंसान से भी सलाह ले सकते हैं तथा हिंदी माध्यम से परीक्षा में उत्तीर्ण हो सकते हैं, जैसे की 2025 में शक्ति दुबे ने किया।
हिंदी में standard books और resources की सूची
बाजार में ऐसे कई सारे पुस्तक उपलब्ध हैं जो की अंग्रेजी माध्यम के साथ-साथ हिंदी माध्यम में भी उपलब्ध हैं । बच्चे ‘भारतीय राजनीति’ के लिए “लक्ष्मीकांत” की किताब पढ़ सकते हैं , जो की हिंदी में अनुवाद किया हुआ है । वहीं ‘भारतीय अर्थव्यवस्था’ की “संजीव वर्मा” ‘इतिहास’ के लिए “बिपिन चंद्र” और ‘भूगोल’ के लिए “महेश कुमार बरनवाल” की किताब पढ़ सकते हैं । यह सारी पुस्तक हिंदी में भी उपलब्ध है जो की हिंदी मध्यम बच्चों के लिए काफी मददगार साबित होता है ,क्योंकि बहुत सारे प्रश्न इन्हीं किताबों में से पूछे जाते हैं बच्चे इन किताबों से पढ़कर अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं तथा यूपीएससी को आसन एग्जाम बना सकते हैं ।
मॉक टेस्ट और मेंटरशिप की भूमिका
अगर सही मेंटरशिप हो तथा बच्चे मॉक टेस्ट से अपनी तैयारी का मूल्यांकन करें तो सफलता दूर नहीं । साथ ही साथ अगर उन्हें अनुभवी मेंटर से मार्गदर्शन प्राप्त करें तो यह रास्ता और भी आसान हो जाता है। मॉक टेस्ट देकर के बच्चे अपनी कमजोरी का पता लगा सकते हैं और उसे पर काम करके उसको बेहतर बना सकते हैं । जो कि उन्हें फाइनल एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाने में मदद करेंगे साथ ही साथ उनके मोटिवेशन और ज्ञान को बढ़ाएंगे तथा उनकी त्रुटियों को धीरे-धीरे काम करते जाएंगे।
DIA (Deoghar IAS Academy) कैसे कर रहा है मदद
देवघर आईएएस अकैडमी हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए विशेष रूप से कई सारी सुविधाएं प्रदान कर रहा है जिसको पाकर हिंदी माध्यम वाले बच्चे हर साल यूपीएससी में अपना स्थान बना पा रहे हैं। Deoghar IAS Academy हिंदी मध्यम बच्चों के लिए विशेष बैच ,हिंदी नोट्स और उत्तर लेखन सत्र तथा ऑनलाइन और ऑफलाइन मेंटरिंग की सुविधा प्रदान करते हैं। विशेष बैच हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए ही समर्पित है तथा टॉपिक वाइज नोट्स और नियमित उत्तर लेखन का अभ्यास भी कराया जाता है ।साथ ही साथ हिंदी माध्यम के बच्चों को व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाता है तथा उन हिंदी माध्यम के बच्चों द्वारा जो भी कठिनाइयों का सामना उन्हें करना पड़ रहा है उसका समाधान दिया जाता है और सही मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है।
निष्कर्ष
हिंदी माध्यम कोई बाधा नहीं है, अगर सही दिशा और संसाधन मिल जाएं। अगर सही मार्गदर्शन मिले और मॉक टेस्ट तथा मेंटरशिप मिले एवं बच्चे हिंदी में उत्तर लेखन का अभ्यास करें तो यह एग्जाम परीक्षा निकलना मुश्किल नहीं है । हिंदी माध्यम से यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त करना चुनौती पूर्ण हो सकता है मगर कई सारे कोचिंग संस्थान जो कि जैसे देवघर आईएएस अकैडमी हिंदी माध्यम के बच्चों को दिशा दिखाने और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए मौजूद हैं। ऐसे संस्थान हिंदी माध्यम के बच्चों के लिए समर्पित है तथा उनके सफलता के लिए हर दिन मेहनत कर रहे हैं । जिसका प्रभाव हमें दिख रहा है तथा हिंदी माध्यम से भी बच्चे यूपीएससी परीक्षा में उत्तीर्ण हो रहे हैं, तथा यूपीएससी के फाइनल लिस्ट में अपना जगह बन पा रहे हैं।